अप्रैल के अंतिम सप्ताह - मई के प्रथम सप्ताह में लीची के बाग में किए जाने वाले प्रमुख कृषि कार्य  
अप्रैल के अंतिम सप्ताह - मई के प्रथम सप्ताह में लीची के बाग में किए जाने वाले प्रमुख कृषि कार्य  

प्रोफेसर (डॉ) एसके सिंह 
प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना एवं
सह निदेशक अनुसन्धान 
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय , पूसा ,समस्तीपुर, बिहार 

लीची की सफलतापूर्वक खेती के लिए आवश्यक है की इसमे लगने वाले प्रमुख कीट जैसे लीची का फल छेदक कीट , उसका प्रबंधन करना अत्यावश्यक है। लीची के फल में इस कीट का आक्रमण हो गया तो बाजार में इस लीची का कुछ भी दाम नही मिलेगा। अतः आवश्यक है की इस कीट के प्रबंधन के लिए ससमय सही उपाय किये जाय। लीची में फूल निकलने से पूर्व  निंबिसिडिन (0.5%), नीम के तेल या निंबिन @ 4 मिली प्रति लीटर पानी में या किसी भी नीम आधारित कीटनाशक जैसे एजेडिरैचिन फॉर्मुलेशन निर्माताओं की अनुशंसित खुराक के अनुसार किए होंगे।फूल में फल लगने के बाद पहला कीटनाशक का छिडकाव, फूल में फल लगने के बाद जब फल लौंग के आकार के हुऐ होंगे तब थियाक्लोप्रिड 21.7 एससी या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल @ 0.7-1.0 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडकाव कर चुके होंगे यह अवस्था बहुत ही महत्पूर्ण थी। दूसरा कीटनाशक छिडकाव, पहले छिडकाव के 12-15 दिन बाद; इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL या थियाक्लोप्रिड 21.7 एससी @ 0.7-1.0 मिली प्रति लीटर पानी एवं तीसरा छिडकाव इन्ही कीटनाशकों से अगर मौसम की स्थिति सामान्य है यानी रुक-रुक कर बारिश नहीं हो रही है तब करना है। अंतिम छिड़काव फल तुड़ाई के 12-15 दिन पहले जब फल का रंग हरे से लाल होने को होता है उस समय करना चाहिए। यह अवस्था भी बहुत महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित तीन कीटनाशकों में से किसी भी एक का छिड़काव करें यथा नोवलुरॉन 10% ईसी @ 1.5 मिली प्रति लीटर पानी या  इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी @ 0.7 ग्राम प्रति लीटर पानी या लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 5% ईसी @ 0.7 मिली प्रति लीटर पानी। बाग की मिट्टी को हमेशा नम बना के रखना है। बाग की मिट्टी को कभी भी सूखने नही देना है।

लीची के बाग़ में कीट कम लगे इसके लिए साफ सुथरी खेती करें और खरपतवारों को बाग से काटकर हटा दें। जहां तक संभव हो, जमीन पर गिरे हुए फलों को नष्ट कर दें या उसे मिट्टी के अंदर गहरे दफन करे। पेड़ पर छिडकाव खूब अच्छी तरह हो सुनिश्चित करें केवल खानापूर्ति न करें। छिड़काव उस दिन करे जब मौसम साफ़ हो। अगर बारिश होती है तो छिडकाव 24 घंटे के भीतर दोहराने की आवश्यकता होगी। फलों के छेदक (बोरर्स) के प्रबंधन में समुदाय आधारित यानी आस पास के सभी किसान करें यह सुनिश्चित करें, जिससे आशातीत लाभ प्राप्त होता है। छिडकाव में  डिटर्जेंट / सर्फ पाउडर या कोई स्टिकर अवश्य प्रयोग करें।
 
यदि आप का पेड़ 15 वर्ष या 15 वर्ष से ज्यादा है तो उसमे 500-550 ग्राम डाइअमोनियम फॉस्फेट ,850 ग्राम यूरिया एवं 750 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश एवं 25 किग्रा खूब अच्छी तरह से सडी गोबर की खाद पौधे के चारों तरफ मुख्य तने से 2 मीटर दूर रिंग बना कर खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। यदि आपका पेड़ 15 वर्ष से छोटा है तो उपरोक्त खाद एवं उर्वरक के डोज में 15 से भाग दे दे, इसके बाद जो आएगा उसमे पेड़ की उम्र से गुणा कर दे यही उस पेड़ के लिए खाद एवं उर्वरकों का डोज होगा। यह कार्य जब फल लौंग के बराबर था उसी समय कर देना चाहिए था। पूर्व वर्षो के अनुभव के आधार पर जिन लीची के बागों में फल के फटने की समस्या ज्यादा हो वहां के किसान 15 अप्रैल के आसपास बोरान @ 4 ग्राम / लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करने से लीची के फल के फटने की समस्या में भारी कमी आती है।

बिहार की कृषि जलवायु के अनुसार लीची के शाही प्रजाति के फलों की तुड़ाई 20-25 मई के आज पास करनी चाहिए। कभी कभी देखा जाता है की 20 मई से पूर्व भी लीची के फल पूरी तरह से लाल हो जाते है इसका यह तात्पर्य नही है की फल तुड़ाई योग्य हो गया है। फल की तुड़ाई सही समय, मिठास आने पर ही करे।